1.बृहत् हिंदी कोश

हिंदी चूँकि एक जीवंत भाषा है, अत: इसकी शब्‍दावली का भी निरंतर विकास हो रहा है।यद्यपि बाजार में आज अनेक बृहत् हिंदी कोश निर्मित एवं प्रकाशित किए गए हैं, किंतु विभिन्‍न विषयों में नई शिक्षण व्यवस्थाओं के कारण पिछले लगभग पचास वर्षों में जो नई शब्‍दावली बोल-चाल और लेखन में अव‍तरित हुई है, हिंदी-कोशों में उसका अभाव है। इसी कारण ये कोश आधुनिक पाठकों की वांछित आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं हैं। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इस प्रकार के कोश की आवश्‍यकता को दीर्घकाल से अनुभव किया जाता रहा है। उपर्युक्‍त उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने एक 'बृहत् हिंदी कोशके निर्माण की परियोजना पर 'विशिष्‍ट कोश योजनाके अंतर्गत कार्यारंभ किया है।

इस कोश में हिंदी के सभी क्षेत्रों में व्‍यापक रूप से प्रयुक्‍त नवीन शब्‍दों एवं विभिन्‍न विषयों जैसे जनसंचार, आयुर्वेद, खेलकूद, जीवविज्ञान, रसायन, कंप्‍यूटर विज्ञान आदि को समाहित किया जा रहा है। इसमें मानक उच्‍चारण, व्‍याकरणिक कोटि, कुछ प्रचलित वैज्ञानिक और तकनीकी शब्‍दों के पर्याय, संक्षिप्‍त परिभाषा, मुहावरे, लोकोक्तियाँ तथा उनके स्रोत आदि दिए जा रहे हैं। यह कोश दो खंडों में प्रकाशित किया जा रहा हैं।

2. अभिनव हिंदी कोश

नित नूतन अनुसंधानों और वैज्ञानिक आविष्‍कारों के कारण नई-नई विधाओं और विद्याशाखाओं का निर्माण हो रहा है। हिंदी चूँकि एक जीवंत भाषा है, अत: इसकी शब्‍दावली का भी निरंतर विकास हो रहा है। यद्यपि बाज़ार में आज अनेक 'हिंदी-हिंदी कोश' उपलब्‍ध हैं, परंतु वे हिंदी की अद्यतन शब्‍दावली से युक्‍त नहीं है और इसी कारण सजग पाठकों, मुख्‍यत:विद्यार्थियों की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। एकअद्यतन प्रामाणिक हिंदी कोश के अभाव में शब्‍दों के सही अर्थ समझने और उनके विषयगत प्रयोग की समस्‍या भी बनी रहती है। विद्यालय-स्‍तर पर इस प्रकार के कोश की आवश्‍यकता को दीर्घकाल से अनुभव किया जाता रहा है। उपर्युक्‍त उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने 'अभिनव हिंदी कोश' के निर्माण की परियोजना पर जनवरी, 2002 से कार्यारंभ किया।

इस कोश में माध्‍यमिक स्‍तर तथा स्‍नातक-पूर्व की पाठ्य पुस्‍तकों में प्रयुक्‍त विभिन्‍न विषयों से संबंधित शब्‍दावली को समाहित किया जा रहा है । इसके अतिरिक्‍त पिछले 50 वर्षों में जो नए (तकनीकी और गैर तकनीकी) शब्‍द विभिन्‍न विद्या शाखाओं तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रयुक्‍त होकर मानक रूप ग्रहण कर चुके हैं और प्राय: अन्‍य कोशों में नहीं मिलते, उन्‍हें विशेष रूप से इस शब्‍दकोश में सम्मिलित किया जा रहा है । इस कोश में इन शब्‍दों की व्‍याकरणिक कोटि, उनके सामान्‍य अर्थ तथा उनकी संक्षिप्‍त तकनीकी परिभाषा/ व्‍याख्‍या एवं तकनीकी शब्‍दों के अंग्रेजी समानक तथा पर्याय एवं विलोम शब्द भी दिए जा रहे हैं। इस कोश में कुल मिलाकर लगभग 13 हजार मूल प्रविष्टियाँ(कुल मिलाकर विषयवार 50 हजार से अधिक प्रविष्टियाँ) हैं। मूल्य रु 2256, पृष्‍ठ: 762

3. हिंदी-पारिभाषिक लघु कोश

नित्यप्रति होने वाले नवीन अनुसंधानों और वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण नई-नई विधाओं और शिक्षा व्यवस्थाओं का निर्माण हो रहा है। चूँकि हिंदी एक जीवंत भाषा है, अत: इसकी शब्दावली का भी निरंतर विकास होना स्वाभाविक है।यद्यपि बाजार में आज अनेक हिंदी-हिंदी कोश उपलब्ध हैं, परंतु वे हिंदी कीअद्यतन शब्दावली और परिभाषाओं से युक्त नहीं हैं और इसी कारण पूर्व माध्यमिक (कक्षा 8 तक के) स्तर के विद्यार्थियों की विद्या की आवश्यकताओं की पूर्ति में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। एकअद्यतन प्रामाणिक हिंदी कोश के अभाव में शब्दों के सही अर्थ समझने और उनके विषयगत प्रयोग की समस्या बनी रहती है। पूर्व-माध्यमिक विद्यालय स्तर पर इस प्रकार के कोश की आवश्यकता को दीर्घकाल से महसूस किया जा रहा है। उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने 'हिंदी पारिभाषिक लघु कोश' निर्माण परियोजना को सितंबर, 2008 में आरंभ किया।
इस कोश में पूर्व माध्यमिक कक्षाओं के स्तर की पाठ्य-पुस्तकों में प्रयुक्त विभिन्‍न विषयों से संबंधित शब्दावली को समाहित किया गया है। इसके अतिरिक्त पिछले 50 वर्षो में जो शब्द (तकनीकी और गैर-तकनीकी) पूर्व माध्यमिक स्तर की पाठ्य-पुस्तकों में समाविष्ट होकर मानक रूप ग्रहण कर चुके हैं, उन्हें विशेष रूप से इस कोश में सम्मिलित किया गया है ताकि छात्रों को सम्यक रूप से समझाए और ग्रहण कराए जा सकें। इस कोश में शब्दों के अर्थों को स्पष्ट करने हेतु उनकी अर्थ-तकनीकी परिभाषा/व्याख्या को विशेष रूप से दिया गया है। इसके साथ ही इन शब्दों की व्याकरणिक कोटि, उनके सामान्य अर्थ, आवश्यकतानुसार कहीं - कहीं उनके अंग्रेजी समानक पर्याय एवं विलोम भी दिये गये हैं। इस कोश में कुल मिलाकर लगभग 10,800 मूल प्रविष्टियों का समावेश किया गया है।
इस प्रकार यह कोश पूर्व माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए नई संकल्पनाओं वाला एक प्रामाणिक हिंदी पारिभाषिक लघु कोश है जो उन्हें शब्दों के अर्थ को स्पष्ट रूप से समझाने में विशेष सहायता करेगा । मूल्य रु० 306, पृष्‍ठ: 612

4. हिंदी व्युत्पत्ति कोश

केंद्रीय हिंदी निदेशालय की महत्वपूर्ण योजनाओं में से कोश निर्माण एक महत्वपूर्ण योजना है। इसी योजना के अंतर्गत निदेशालय द्वारा 'हिंदीव्युत्पत्ति कोश' का निर्माण मई 2013 में प्रारंभ किया गया। शब्दों की व्युत्पत्ति को भाषा के संदर्भ में विमर्श का गंभीर क्षेत्र माना गया है। इस कोश के निर्माण से विद्यार्थी वर्ग के साथ-साथ शिक्षकों, अनुवादकों, भाषा अनुसंधित्सुओं, शिक्षाविदों को भी लाभ होगा। इस हिंदी व्युत्पत्ति कोश में शब्दों के उत्स, व्याकरणिक कोटि, उनकी विकास-यात्रा और शब्दार्थ दिए जा  रहे हैं। इस कोश के निर्माण में बाहरी एवं स्थानीय लब्ध प्रतिष्ठ विद्वानों की मदद ली जा रही है। इस कोश में लगभग एक लाख प्रविष्टियाँ होंगी। (यह कोश निर्माणाधीन है।)

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